Monday, June 11, 2012

Shree Vidya Level 3 Goa----- Day 7

By Shiv Yog Foundation

Namah shivay after a brief hiatus of 2 days, Baba ji finally spoke on the 7th day of the shivir at Goa. The primary thrust area of Baba ji was the borrowed belief system prevalent in India and the abominable prospect of even sadhaks lapping it up. “Dhaarna shakti” Baba ji said is the strongest means to achieve any goal in life. He also explained the reason for preference of Goa for holding unique shivirs which is a startling fact about Goa known only to a handful in this world. Also find in the updated note a word on “late sleeping and late rising” and Baba ji’s answer of a sadhak’s peculiar query on losing weight. And as written innumerable times on this page, Baba ji reiterated why sadhna must never be done on the bed. All this and loads more in the note that’s re shared and updated below. Photographs could not be added to the note because of a technical snag with facebook pic uploading feature but Baba ji's quoted lines are rich enough in themselves to preclude the need of any pics. Blessings.



Day 7---Highlights

 Why Goa for special shivirs?

Apart from the inevitable reasons as perfect arrangements, relaxed atmosphere, celebratory ambience and blissful atmospherics, Baba ji enunciated as to why He prefers to keep Goa as a venue for special shivirs. It is interesting to note that the first ever Shree Vidya level 2 shivir was also held in Goa.

"देखो....... गोवा की भूमि बहुत शुद्ध भूमि है| इतने दिव्य मंदिरों का वास है यहाँ पर| किंतु बहुत कम, बल्कि अब तो किसी को यह नही मालूम की Portugal invasion से पहले यहाँ श्री विद्या के प्रकांड पंडितों का निवास हुआ करता था| पर फिर धीरे धीरे सब लुप्त हो गया| यहाँ गोवा में ही एक गोकरण नाम की जगह है जहाँ के सामुद्री हिस्से का आकार ऊँ की तरह है| जैसे कैलाश में ओम पर्वत है वैसे ही यहाँ पर यह ओम के आकार का सामुद्री हिस्सा है|भगवान शिव का दक्षिण में स्थान गोवा ही है| इस जगह में श्री विद्या शक्ति शुरू से ही थी किंतु अब वो बिल्कुल विलुप्त हो गयी थी और इसको पुनः जागृत करना आवश्यक हो गया था | तभी भोला बाबा की लीला से इसको जगाने का मार्ग खुला और आप लोग जो आज यहाँ साधना करके इस भूमि को और पावन बना रहे हैं, ये सब उस शिव की कृपा है|”

 The Om parvat in Kailash has its southern counterpart

 
The Om beach at Gokarna. The Om is quite apparent and truly it appears to be Lord Shiva's abode in the south
·         
      Take every incident in life as a chance to learn a lesson and vow to never repeat the mistake otherwise no point of taking a lesson.
·      
            Be non judgemental.
·        "Golden book  ज़रूर लिखना नहीं तो दिशाहीन होकर दर दर ठोकरें खाते हुए भटक जाओगे| अपने विचारों को, अपनी सोच को, अपनी साधना को एक दिशा प्रदान करो|लिखो तुम कैसा जीवन चाहते हो|चुको मत| '...............मानव जन्म अमोल है बंदेया......... अईनू गवाना नई बंदेया'........."

SHUNNING THE BELIEF SYSTEM

1. When the wish that you aspire for is common to the conscious, sub conscious and ingrained in the belief system it will definitely materialize.
2. जीवन में goal बनाओ और अपने से पूछो what is the price I’m ready to pay to achieve this goal?”
3. शुरुआत में Mt. Everest पऱ जिन लोगों ने चड़ने का प्रयास किया उनको छोटी तक पहुँचना नामुमकिन लगा|काफ़ी लोग तो इस बात को सुनकर डर गये और कोशिश भी नहीं की उस पर फिर चड़ने की| किंतु जब पहला व्यक्ति चाड गया उस ऊँचाई तक, तो यह नामुमकिनता की ग़लत धारणा, विश्वास में बदल गयी| शिव योग के श्री विद्या साधकों मैं तुम्हें इतना बताना चाहता हूँ की आत्म साक्षात्कार वो भी इसी जन्म में नामुमकिन नहीं है| अपनी सोच को बदलो| बाबा तुम्हारे साथ है|”
 
Once the trail to the top of Mt Everest was blazed, the belief that Everest was insurmountable broke and it led to a host of trekkers and mountain climbers scaling the peak in contrast to the widely held negative belief earlier. Baba ji too says that Enlightenment, that too in this birth is not difficult. Baba ji is showing the way. We just have to follow His path

4. उधारी की बातें और belief system पर विश्वास करना छोड़ दो| Don’t lead life on the perception of others.
5. अपनी एक सकारात्मक सोच रखो| और सोच ऐसी की कोई घटना उसे तोड़ ना पाए| कोई व्यक्ति उसे हिला ना पाए| शिव योग का असली मायना ही तुम्हारी अपनी पहचान है| यह जानो की तुम अनंत शिव हो| सांसारिक अंधविश्वास और ग़लत सोच में मत पड़ो| जीवन को सार्थक बनाओ|”
6. एक बार की बात है एक व्यक्ति था, वह इतनी भारी गाय को उठा लेता था|लोग हैरान होते थे| एक दिन किसी ने आकर उससे पूछा भाई तुम कैसे इतनी वज़नदार गाय को उठा लेते हो? तो हंस कर कहने लगा 'मित्र जब मैं छोटा था तो इस गाय का जन्म हुआ| जब यह बछड़ा थी तभी से इसे मैं हर रोज़ उठाता था| यह बड़ी होती गई पर मेरी इसको रोज़ उठाने की आदत नहीं गयी| फलस्वरूप अब मैं इसे बछड़ा समझ कर उठा लेता हूँ| This is the power of the belief system and regularity.  जीवन में एक  persistence लाओ| एक कार्यशैली बनाओ और उस पर अमल करो| हर रोज़ एक ही समय पर अपना हर कार्य करो| तुम्हारा शरीर आदि हो जाएगा| साधना में नियम का पालन करना और भी फलदायी है| एक ही समय पर साधना करके देखो| तुम खुद मेरे पास आओगे की हाँ बाबा जी बहुत फरक है अनुशासित जीवन में और अनुशासंहीन ज़िंदगी में|"

A sadhak, an aspiring model on the mike raised a query that his wishes weren’t materializing despite his writing in the present tense in the Golden book and that modelling as a profession had work ethics totally opposite to the ideals of Shiv Yog. He also raised the bogey of explicit stuff and surreptitious “emails” which had to be sent and received. Baba ji looked at him from a distance for a moment, as if reading his past, present and future. He then said
·         
    “बेटा तुम्हारी भावना और belief system ठीक नहीं है| शिव योग के सिद्धांत हर पेशे में और हर इंसान पर ठीक बैठते हैं| धारणा लाओ| तुम्हारी भावना अशुद्ध है और तुम कुछ और सोच कर बैठे हो| शिव योग को समझो| भोले बाबा की कृपा लो सब email आने लगेंगे| Bless you बेटा शुद्धी की आवश्यकता है| साधना करो| नमः शिवाय|”
·        “Bed पर बैठ कर कभी साधना मत करना| जब हम सोते हैं तो etheric waste emit करते हैं| Bed पर साधना करने से वह energy आपकी energy को खाएगी और साधना का लाभ नहीं मिल पाएगा|”
·        विचार शुरुआत में आएँगे पर जैसे जैसे शुद्दि होगी वह अपने आप ही गायब होने लगेंगे|”
·         प्रकृति से कितना कुछ सीखने को है मनुष्य के पास| कभी snail देखा है ? उसकी ख़ासियत ही यह है की यदि कोई उसे चू दे, तो वह अपने शरीर के छिद्र से अंदर चला जाता है| उसी प्रकार जब भी कोई विपत्ति आए तो हा-हाकार नहीं मचाने लग जाना| उस snail की तरह अपने भीतर चले जाना| बाहर की हर रुकावट, हर मुसीबत, हर कठिनाई का समाधान बाहर नहीं तुम्हारे भीतर ही है|साधना ही हर समस्या का समाधान है| तुम अनंत हो| तुम्हारे भीतर वह अनंत छिपा हुआ है| वह साधना से ही बाहर आएगा| 'आपको ध्याओ, आपको भजो, आप में आपके राम आप होकर रहते हैं'| वास्तव में यह मान या शरीर तुम्हारा अस्तित्व नहीं है| तुम वह सत चित आनंद हो जिसके पास हर मुसीबत का हल है| अपने असली दर्शन करने हैं तो साधना करो| सारे कष्ट और रोग ठीक होंगे| अपने असली मैं से मिलकर तो देखो|”
          
      The snail on encountering any encumbrance or threat to its life by any external force, takes refuge in the shell. We must take such subtle cues from nature and endeavour to look within rather than looking for succour outside. Happiness is not the external world but in within the Infinite self contained in us infact which is the real us. The only way to meet this real self of ours is to contemplate and meditate

LOSING WEIGHT
How this topic was raised is a very interesting story being narrated here exactly how it unfolded.
In the question answer session, a lady on the mike came and said” नमः शिवाय बाबा जी| बाबा जी मुझे slim होना है | मुझे सुषुमना नाड़ी के जितना पतला कर दो|(This sent everyone, including the lady in peels of laughter).
In the same jocular vein Baba ji replied,
तुम्हें सुषुमना बना तो दूँ पर आस पास ईडा पिंग्ला भी लानी पड़ेंगी, उसका क्या करूँ?”
(This raised the tenor of the proceedings and rip roaring laughter reverberated across the hall).
On a serious note Baba ji had these points for anyone planning to lose weight:
1. Eat less but do not starve. Do not skip meals.
2. Earn your food. Ask yourself whether you have burnt enough calories and digested the previously eaten food that you merit a morsel of the next one ?
3. Exercise and go beyond your limitations every day. Induce sweat through vigorous exercise.
4. Write down the weight that you wish to attain in your Golden book in the present tense and start believing that you are already ____kg.
5. Ask yourself what is the price I’m going to pay for losing ___kg of weight. Am I ready to exercise more? Am I ready give my taste buds a relief? Am I ready to eat less but healthy?


Exercise and sweat daily. If you like music with exercise what better than Mahishasur strotra in Baba ji's voice to rev you up?

  • DISCIPLINE IN LIFE
1. मेरा यह एक कथन अपने कमरे में लिख कर लगा लो: ‘Every day I have to become better and better. Every day in every way I’m better than yesterday.’
2."हर रोज़ जब भी उठो तो प्रयास करना की कल के मुक्काब्ले आज तुम और अच्छे इंसान बनो|”
3. नेत्र खुलते ही शैय्या त्याग दिया करो| पासे पलटना और आलस करना तुम्हारे लिए नहीं है|”
  
A Shiv Yogi is never seen wallowing on the bed after he's awake. Also whiling away time and time wastage are not traits which are associated with a Shiv Yogi

4. रात को जल्दी और सवेरे जल्दी उठने का प्रयास करो| एकदम से परिवर्तन नहीं होगा| छोटे छोटे target रख कर चलो| जैसे यदि अभी 7 बजे उठते हो तो कल से 630 उठने का प्रयास करना| ऐसे धीरे धीरे बदलाव लाओ|”
5. जीवन में नियम बनाओ और उन नियमों का पालन करो| वही नियम तुम्हे बना देंगे|”
6. Bring consistency and regularity in life.
·        यह नहीं की एक दिन तो बार साधना और एक दिन तो बिल्कुल ही नहीं|”
·        और बाबा से कभी यह सवाल नहीं करना 'बाबा जी हम साधना,प्राण क्रियाएँ और संकीर्तन को कितना समय दें एक दिन में ?' आजकल किसी से पूछो क्या करते हो दिन भर तो लोग कहते हैं ‘timepass’| एक शीव्योगी कभी ऐसी बात नहीं करेगा| यदि तुम्हारे पास समय है तो यथासंभव अपने लिए समय निकालो| पर हाँ दिन में घंटे तो ज़रूर रखना अपनी अध्यात्मिक उन्नति के लिए| बाकी यदि और समय है तो उसे इस्तेमाल करो, timepass बिल्कुल नहीं करना| समय का दुरुपयोग कभी नहीं करना|”
·        No competition with others. Competition with only your own self.
·        कोई भी काम pending नहीं रहना|”

Baba ji ended on a very sweet note when he said:
·        “Level 1 श्री विद्या का तो ये था की भाई करो ना करो तुम पर है|
·        Level 2 की तुमको CD  बना कर दे दी की भाई कोई तकलीफ़ ना हो और रोज़ साधना हो सके|
·        Level 3 में अब तुम्हे खुद ही जीती जागती CD बनाकर भेजूँगा| जहाँ बैठोगे, वहीं ध्यनस्त्त हो जाओगे|2 min में समाधीष्ट|”

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