अहम ब्रह्मासमी! अपने जीवन का निर्माता मैं स्वयं ही हूँ| मैं अपने लिए उत्तम से उत्तम भाव चुनता हूँ| मैं अपने लिए एक सुंदर जीवन चुनता हूँ|
अपनी
तुलना केवल अपने
आप से करना|
दूसरे कहाँ तक
पहुँचे यह नहीं
देखना| तुम खुद
अपने से पूछना
क्या मैं कल
से आज संसार
और अध्यात्म बेहतर
हूँ?
जीवन की राह मुझे कहाँ लेकर जाएगी? बाबा कहते हैं जहाँ भी तू चाहे| सच का मार्ग चुनना भी उतना ही सरल, जितना वासनाओं का मार्ग| चयन तुम्हारे हाथ.
हमेशा नित्य की स्थिति में रहना क्योंकि वर्तमान ही शाश्वत है|अगर तुमने साधना से वर्तमान सुधार लिया तो भूतकाल का दुख,भविष्य की चिंता न रहेंगी|
श्री विद्या के साधक वही सोचना जो तुम चाहते हो| जो तुम नहीं चाहते उसको बिल्कुल नहीं सोचना| जिस भाव को प्रबल करना है उसी को हर समय व्यक्त करना.
हर समय अपनी भावना शुद्ध रखना| इससे कर्म दोष से बचे रहोगे| कोई भी विचार, कोई भी कर्म करने से पहले अपने भाव को अवश्य देख लेना|
संसार हमको वैसा दिखता है जैसे हम स्वयं हैं| इसलिए इस संसार को सही मायनें में अनुभव करना है, तो अपनी चेतना का विकास करो| साधना करो|
सत्य से बड़ा पुण्य नहीं, झूठ से बड़ा पाप नहीं| हमेशा सत्य बोलना, सत्य ही सुनना और सत्य ही देखना| क्योंकि शिव ही सत्य है और सत्य ही शिव है|
स्त्री शक्ति स्वरूप है| विद्या साधना का मायना ही शक्ति की सर्वोत्तम उपासना करना है| नारी जन्मदात्री है उसका बहुत आदर पूर्वक सत्कार करो|
क्रोध,घृणा,अहंकार,ईर्ष्या,मोह,काम आसुरी भाव हैं| इनको त्याग देना| प्रेम,करुणा,क्षमा,खुशी, धन्यवाद देव भाव हैं| इनको अपने जीवन में उतारना|
अहंकारी मनुष्य को मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता| इसलिए विनम्रता और धन्यवाद का भाव हमेशा अपने भीतर रखना| हर क्षण, हर किसी को धन्यवाद देते रहना|
Do not revel in your misery.
Don’t enjoy your suffering. Make efforts to remedy your condition through
ShivYog teachings. There is only one life to live. Make the most of it.
It is only in stillness
& peace that you can create. Noise & unease are signs of destruction.
So to enhance materliztion power, silence the mind through meditation.
By not forgiving others for the
hurt they caused to you won’t do them any harm. Instead the feeling of revenge
& curse will damage your spiritual vessel so just let go.
By appreciating the achievements
of others you are sending signal to nature that you are happy when you see success
so with this attitude of apparition nature bless you with lots of success.
Release every emotion, feeling,
thought which troubles you, makes you agitated or is not good for your ultimate
goal of spiritual realization. Let only peace remain.
Accept everyone the way they
are. Feuds in family & discord in every relationship occurs only when we want
others to change as pr our taste. Shun this attitude.
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