Namah shivay 2012
turned out to be a watershed year for all Shiv Yogis. Not only did we ascend
under the tutelage of Baba ji, we also assisted the Holy Sages in their
endeavour of raising the vibration of Mother Earth by volunteering to host
Durga Saptashati shivirs late December. It was the year which saw Baba ji act
as a saviour to His loving disciples, some of who were being misled, misguided
and manipulated by
mischievous and malevolent elements, making use of their humility,submission
and subservience. Through Durga Saptashati deeksha, Baba ji administered the
sadhaks with the strongest dose of Divine Feminity, much required at a time
when outlook on women seemed to be tottering from being reservoirs of 'Maternal
warmth' to entities for 'sensual satiation'. 2012 was also a special year as
Baba ji raised the level of Shree Vidya a notch higher with the maiden level 3
shivir at Goa. This annum was also witness to these teachings of Baba ji taking
centrestage - bonding in the family, philanthropy to the needy, freeing animals
from cages, enhancing greenery, reducing dependence on electricity, banishing
superstition and alpha-male tendency, renouncing "Madhu-kaitabh",
"Shumbh-Nishumbh" and Mahishasur by installing Ma Durga within us.
Baba ji took it upon Himself to bless all during the lead up to the Ascension
time, the dedication such dogged that even shivirs were consigned to the
backburner. Ishan ji came into his own by being the vanguard of proteges
helping Baba ji in His own efforts to meditate in seclusion, to reach out to
sadhaks through video and text messages, to spread the light of Shiv Yog to all
quarters of the world and to be an exemplary sadhak. In hindsight, Ishan ji
also realised that losing his cell phone during this period was a blessing in
disguise when so much was on his plate. As we bid adieu to the year gone by,
here is praying that may 2013 be another ANNUS MIRABILIS or rather a better one
for all Shiv Yogis. HAPPY NEW YEAR. Blessings.
नमः शिवाय! २०१२ का वर्ष सभी शिव योगियों के लिए एक नव प्रवर्तन का वर्ष रहा | हमने न केवल अपनी उर्ध्वगति को अनुभव किया , अपितु धरती माता की स्पंदन की वृद्धि के लिए ,दिसंबर के द्वितीय पखवाड़े में दुर्गा सप्तशती शिविरों का आयोजन कर , सिद्ध पुरुषों के प्रयास में योगदान दिया | इस वर्ष बाबाजी उन गुमराह साधकों के भी संरक्षक रहे, जो अपनी नम्रता , सेवा एवं समर्पणभाव के कारण वश शरारती एवं द्रोही तत्वों के बहकावे में आ गये थे | बाबाजी ने दुर्गा सप्तशती के माध्यम से , ऐसे समय में साधकों को आद्य्शक्ति के प्रति भक्ति भाव जागृत करवाया , जब स्त्री को वात्सल्य की प्रतिमूर्ति समझने के बजाय उन पर काम-कटारी चळाई जा रही थी | वर्ष २०१२ इस सन्दर्भ में भी विशेष था कि बाबाजी ने पहली बारी , गोआ में तीसरी दीक्षा देकर , श्री-विद्या को एक सीडी उपर उठाया | परोपकार, परिवार में प्रेम संबंध, पिंजरों में क़ैद जानवरों को मुक्ति दिलाना , हरियाली बढ़ाना , बिजली पर निर्भरता को कम करना , अंधविश्वास से मुक्ति , अपने भीतर माता दुर्गा को स्थापित कर , अंदर छिपे "मधु-कैटभ" , "शुंभ निशुम्भ ","महिषासुर " का त्याग , इस साल की मुख्य शिक्षाएं रहीं | साधकों की ऊर्ध्वगती के लिए बाबा जी का संकल्प इतना दृढ़ था कि उन्होनें सभी शिविरों को भी पीछे कर , उत्थान का नेतृत्व अपने उपर ले लिया | इशान जी ने , सभी साधकों की अगुवाई करते हुए , बाबाजी की एकांत में साधना करने में , वीडियो और पाठ संदेश के माध्यम से साधकों तक पहुँचने में और विश्वभर में शिव योग की ज्योति जलानें में बाबाजी की सहायता करते हुए एक अनुकरणीय साधक का उदाहरण प्रस्तुत किया | इस व्यस्तता के दौरान इशान जी को अपना मोबाइल खो जाने में भी एक तरह की कृपा नज़र आई| २०१२ को अलविदा , सभी शिव योगियों का आने वाला वर्ष मंगलमय हो और २०१२ से बेहतर हो, ऐसी हार्दिक शुभ कामनाएँ|
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