Namah shivay mankind has scratched
its head for long, baffled by the big question -- that of Doomsday 21st
December 2012. Even Shiv Yog sadhaks have not been immune to the mystery,
secrecy, ambiguity and anxiety surrounding the D-Day as some call it. In a video
address to all sadhaks, Baba ji has allayed all concerns regarding this period
and in doing so has also answered all the questions that have been revolving around this
enigmatic period. Among the salient points of his address were regular sadhna,
Durga Saptashati paath, Sewa, wishing best for others, domesticating and
lovingly tending to flora and fauna, planting more trees, reducing dependency
on electricity(which he said will gradually peter out with the increased
vibrations), technology, gadgets, machines and mod cons. Emphasis was also laid
on the fact that in the Ascension period that will last from the year 2012 to
2028, the good done will be magnified. Ditto for the bad deeds. Sadhna of one
day will be equivalent to sadhna of thousands of years of the old times. The
opportunity to attain self realisation by merging with the nature He said is
golden. He rubbished, downplayed, discarded, trashed and assuaged all fears
regarding cataclysmic and catastrophic events which are wrongly tipped to
unfold in this time as portrayed in films. This video link of utmost import is
courtesy the beautiful blog of Shiv Yog aptly titled FROM THE MASTER. Watch the
video from the link below in the Heavenly baritone voice of Baba ji for a vivid
description of the aforesaid words. Blessings.
नमः शिवाय , मानव
जाति दीर्घ काल
से २१ दिसंबर
२०१२ को प्रलय
के प्रश्न को
लेकर चिंतित है
| यहाँ तक की
शिव योग साधक
भी इस दिन
की रहस्यता, गोपनीयता, अस्पष्टता और
चिंता से अप्रभावित नही
है | बाबाजी ने
एक वीडियो संदेश
के माध्यम से
अपने साधकों के
मन में इस
दिन के प्रति
सभी चिंताओं पर
राहत पहुँचाई है
| और इस विषय
पर साधकों के
मन में उठते
हुए प्रश्नों व
रहस्यपूर्ण अवधि पर प्रकाश
डाला है | अपने
भाषण के मुख्य बिंदु के
अलावा जिन बिंदुओं पर
महत्व दिया वे
निम्नलिखित हैं :
• नियमित रूप से साधना तथा दुर्गा सप्तशती पाठ
• सेवा तथा दूसरों के प्रति सदभावना
• वनस्पतियों और जीवों को सप्रेम अपनाना
• अधिक से अधिक पेड़ लगाना
• विद्युत(जो की बढ़ती हुई स्पंदन के साथ लुप्त हो जाएगी ) , प्रौद्योगिकी , उपकरण और आधुनिक सुविधाओं पर कम से कम निर्भरता |
बल इस तथ्य पर भी दिया गया कि ASCENSION PERIOD (२०१२-२०२८) में किए गये अच्छे कर्मों का फल कई गुणा अच्छाई लाएगा , और बुरे कर्मों का फल कई गुणा दुर्गति और दुर्दशा होगा |
इस अवधि में , की गयी , मात्र एक दिन की साधना , प्राचीन समय की कई हज़ार सालों की तपस्या के बराबर फलदायी होगी |
उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ विलय करने से आत्म बोध प्राप्त करने का अवसर सुनहरा है |
इस अवधि में होने वाली भयावह दुर्घटनाओं के दृश्य जो फिल्मों में दर्शाय गये , पूर्णतः खारिज कर दिए |
ये अत्यंत महत्वपूर्ण वीडियो , शिव योग ब्लॉग 'FROM THE MASTER ' के सौजन्य से प्रस्तुत किया गया है |
उक्त शब्दों की व्याख्या हेतु बाबाजी की दिव्य वाणी नीचे दी गयी संलग्न वीडियो link में देखिए | नमः शिवाय !
• नियमित रूप से साधना तथा दुर्गा सप्तशती पाठ
• सेवा तथा दूसरों के प्रति सदभावना
• वनस्पतियों और जीवों को सप्रेम अपनाना
• अधिक से अधिक पेड़ लगाना
• विद्युत(जो की बढ़ती हुई स्पंदन के साथ लुप्त हो जाएगी ) , प्रौद्योगिकी , उपकरण और आधुनिक सुविधाओं पर कम से कम निर्भरता |
बल इस तथ्य पर भी दिया गया कि ASCENSION PERIOD (२०१२-२०२८) में किए गये अच्छे कर्मों का फल कई गुणा अच्छाई लाएगा , और बुरे कर्मों का फल कई गुणा दुर्गति और दुर्दशा होगा |
इस अवधि में , की गयी , मात्र एक दिन की साधना , प्राचीन समय की कई हज़ार सालों की तपस्या के बराबर फलदायी होगी |
उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ विलय करने से आत्म बोध प्राप्त करने का अवसर सुनहरा है |
इस अवधि में होने वाली भयावह दुर्घटनाओं के दृश्य जो फिल्मों में दर्शाय गये , पूर्णतः खारिज कर दिए |
ये अत्यंत महत्वपूर्ण वीडियो , शिव योग ब्लॉग 'FROM THE MASTER ' के सौजन्य से प्रस्तुत किया गया है |
उक्त शब्दों की व्याख्या हेतु बाबाजी की दिव्य वाणी नीचे दी गयी संलग्न वीडियो link में देखिए | नमः शिवाय !
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