BABA JI's QUOTES (Shree Vidya 2---Delhi 2011)
- Motive of your birth is not delving into outward incidents but being a mere witness to them.
- Develop so much Unconditional love within yourself through sadhna that expectation of love from the outside ceases. Have a giving nature Vis a Vis everything in life. And "giving" encompasses love also.
- Attachment to matters is a sign of weakness. Be strong enough to let go. Stay detached. Don’t think about incidents too much.
- A Shiv Yogi always witnesses the Action and overlooks the reaction. Braham gyan is detachment from an action.
- संभाव or uniform perception of each incident. Always radiate unconditional love.
- प्रेम का संभाव होना आवश्यक है! Never be selective in love. Love everyone despite any misgiving that may be there in your mind.
- कुछ लोग कहते हैं की मेरे पिता जी तो समझदार हैं मैं उनको प्रेम करूँगा माता मेरी थोरी कम अछी हैं तो उन्हे इतना नही करूँगा या फिर मेरे पिता जी तो बड़ा डाँटते हैं उन्हे मैं स्नेह नही करता माँ कुछ नही कहती तो उनसे ही प्यार करता हूँ!
- Never be selective in love. While giving love, no logic. Just give love.
- Negative emotions in us come to the fore since the consciousness is stuck in Mooladhaar.
- Connection to Shiva and Guru is broken the moment intention becomes impure.
- कभी किसी से ईर्षा का भाव मत रखना ! अपने लक्ष की ओर अग्रसर होना ! जो उन्नति कर रहे हैं सो करें ! तुम सिर्फ़ अपने गंतव्य को देखो ! Help others achieve their goal while simultaneously accomplishing yours but if otherwise, प्रकृति ऐसे व्यक्ति का विकास रोक देती है ! Be happy with others in their moment of glory and success. Never compete with others. Competition should only be with your own self.
- कुछ लोग मुझसे आकर कहते हैं बाबा जी मैं तो दूसरों के भले में मारा गया ! यह वाक्य अज्ञानी का है ! मुझे बताओ औरों में तुम भी आते हो के नही ? याद रखो ये शरीर तुम नहीं हो यह शरीर तुम्हारा है ! तुम तो वो ज्योतिर्मय आत्मा हो ! सो किसी का हित करने निकलना तो अपना हित ज़रूर कर लेना ! गुलाम नही बनना ! !
- Power struggle and lobbying for your group is the preserve of the close hearted.
- Develop your inner voice by meditations so that the Guru element gets activated and everything that you do is in consonance with nature's laws.
- गुरु बाहर से नही मिलता वह तो तुम्हारे भीतर के गुरु तत्त्व का बाहरी रूपांतरण है ब्रह्म ज्ञानी गुरु का अर्थ है की तुम्हारा गुरु तत्व प्रबल है
- जब अंदर वाला बाहर आएगा तो सुख ही सुख होगा
- दुख में सिमरन सब करे, सुख में करे ना कोए जो सुख में सिमरन करे, तो दुख काहे को होये
- A Shiv Yogi always sustains the attitude of gratitude and thanks God even in difficult circumstances for giving him the courage to fight so adversity does not linger around him.
- The person who is really confident and powerful is unaffected by threats and brow beating since he knows that others cannot harm him. So always remember that aggression and anger is a sign of weakness.
- मैं तो बहुत अच्छा व्यक्ति हूँ मगर दुनिया तो बहुत बुरी है ! मुझे खा जाएगी ! ये एक अधम व्यक्ति की सोच है!
- Always give love to all and more importantly keep your intention pure. Never judge, criticize and analyze others. See qualities in all.
- श्रद्धा और भक्ति के भाव अपने लिए भी लेकर के आओ ! अपने को आदर से रखो क्योंकि आप नारायण बनने की यात्रा प्रारंभ कर चुके हैं ! आप श्री विद्या की ब्रह्म विद्या के साधक हो ! इसका मतलब यह भी नही की दुनिया भर से अपने बखान गावाओ और पैर छुआओ ! हर हुमेशा विनम्र रहना !
- Worship the Shiva within. Worship the Guru element, the God element.
- जीवन धन्य हो जाता है यदि:
- एक भी गाय की सेवा ले ली जाए
- एक भी बच्चे की पढ़ाई का ज़िम्मा उठा लिया जाए
- एक भी ग़रीब की लड़की का घर बसा दिया जाए
- देना सीखो ! निष्काम सेवा करो ! कर्म कटेंगे !
- दोस्ती करनी है तो उस शिव से करना ! संसारिक दोस्ती में वैर तो आना ही है ! जब दोस्त तुम्हारी बात ना सुनेगा, तुम्हारी इच्छानुसार नही चलेगा तब वो दुश्मन बन जाएगा ! मगर शिव से दोस्ती करोगे तो सब तुम्हारे मित्र स्वतः ही बन जाएँगे ! और मजेो की बात ये है की ऐसी दोस्ती में लगाव नही वैराग्य रहेगा !
- भाग्य-रचैइता बनो भाग्य-वादी नहीं
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